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शनिवार, 4 नवंबर 2017

रानी पदमावती.....नीतू ठाकुर

एक हाथ में विष का प्याला 
एक हाथ में धरी कटार 
आज तजेंगे प्राण मगर 
दुश्मन से ना मानेंगे हार 
क्या समझ रहे थे तुम अबला 
जो हाथों में आ जायेंगे 
हम वीर शेरनी की जाई 
हम तुमको धुल चटायेंगे 
है लाज शरम गहना माना 
घूँघट में शीश छुपाते है 
पर वक़्त पड़े तो बन काली 
राण में तलवार चलाते है 
नासमझ समझ का फेर है ये 
हम दास तेरे हो जायेंगे 
यदि वक़्त पड़ा तो अग्नि पे 
जौहर का खेल दिखायेंगे 
ये हिन्द देश की छत्राणी 
ना कदम हटायेंगी पीछे 
तू कदम बढ़ा के देख जरा 
कुचलेंगें क़दमों के निचे 
तुझ जैसे नीच नराधम को 
हम कभी शरण ना आयेंगे  
पग आज बढ़ा के देख जरा 
तुझको औकात दिखायेंगे 
राज महल की दीवारों को 
हम शमशान बनायेंगे 
धरती माँ की आन की खातिर 
अपनी चिता जलायेंगे 
शर्म लुटाके जीने से 
बेहतर होती है वीरगती 
जब तक थे तन में प्राण 
यही कह रही थी रानी पदमावती    
   -नीतू ठाकुर 
**अमर उजाला व काव्यालय
में प्रकाशित रचना







19 टिप्‍पणियां:

  1. वाह !!!
    नीतू जी आपकी लेखनी में शब्द विन्यास के साथ आकर्षक प्रवाह विद्यमान है जो पाठक को रचना के अंत तक ले जाता है। रानी पदमावती की कश्मकश और मनोभावों को बड़ी ही मार्मिक अभिव्यक्ति दी है। रचना में ओज अपना कमाल दिखाता है। बधाई एवं शुभकामनाऐं आपको इस प्रासंगिक रचना पर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. फ़िल्मी दुनिया ने रानी पदमावती के चरित्र के प्रस्तुतीकरण को लेकर भ्रम पैदा कर दिया है। फ़िल्म की रिलीज़ को सरकार ने हरी झंडी दे दी है। देखने पर ही ज्ञात होगा समस्या कहाँ है। वैसे फ़िल्मी दुनिया का मक़सद भावनात्मक विवाद पैदा करके धन उगाहना है। विवादों के कारण इस फ़िल्म को फ़्री में अनावश्यक पब्लिसिटी मिल गयी है। कुछ चतुर फ़िल्मकार पैसे देकर भी विवाद पैदा करवाते हैं अतः पैसे के खेल में भावनाओं को पीसे जाने के ऐसे उपक्रम निंदनीय हैं।
      बहरहाल देखते हैं रिलीज़ होने पर कि फ़िल्म में आपत्तिजनक क्या फ़िल्माया गया है।

      हटाएं
    2. मेरी रचना पसंद करने के लिए आप का बहोत बहोत आभार
      आप की प्रतिक्रिया ने कविता का चार चाँद लगा दिए
      आभार

      हटाएं
  2. आदरणीया /आदरणीय, अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है आपको यह अवगत कराते हुए कि सोमवार ०६ नवंबर २०१७ को हम बालकवियों की रचनायें "पांच लिंकों का आनन्द" में लिंक कर रहें हैं। जिन्हें आपके स्नेह,प्रोत्साहन एवं मार्गदर्शन की विशेष आवश्यकता है। अतः आप सभी गणमान्य पाठक व रचनाकारों का हृदय से स्वागत है। आपकी प्रतिक्रिया इन उभरते हुए बालकवियों के लिए बहुमूल्य होगी। .............. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (06-11-2017) को
    "बाबा नागार्जुन की पुण्यतिथि पर" (चर्चा अंक 2780)
    पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मेरी रचना पसंद करने के लिए आप का बहोत बहोत आभार
      आप की प्रतिक्रिया संजीवनी से काम नहीं
      आभार

      हटाएं
  4. उत्तर
    1. मेरी रचना पसंद करने के लिए आप का बहोत बहोत आभार

      हटाएं
  5. नमस्ते, आपकी यह प्रस्तुति "पाँच लिंकों का आनंद" ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में गुरूवार 09-11-2017 को प्रातः 4:00 बजे प्रकाशनार्थ 846 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर। सधन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सूचना (संशोधन) -

      नमस्ते, आपकी रचना के "पाँच लिंकों का आनन्द" ( http://halchalwith5links.blogspot.in) में प्रकाशन की सूचना
      9 -11 -2017 ( अंक 846 ) दी गयी थी।
      खेद है कि रचना अब रविवार 12-11 -2017 को 849 वें अंक में प्रातः 4 बजे प्रकाशित होगी। चर्चा के लिए आप सादर आमंत्रित हैं।




      हटाएं
  6. हम वीर शेरनी की जाई
    हम तुमको धुल चटायेंगे
    है लाज शरम गहना माना
    घूँघट में शीश छुपाते है
    पर वक़्त पड़े तो बन काली
    रण में तलवार चलाते हैं..

    Wahhh यह है अंगार उड़ाती गर्व दिलाती अलख जगाती अप्रतिम रचना। बहुत लाज़वाब नीतू जी

    जवाब देंहटाएं
  7. सुन्दर अभिव्यक्ति। बधाई और शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह!!!!
    लाजवाब अभिव्यक्ति नीतू जी !
    बहुत ही सुन्दर वीर रस से सनी जौहर गाथा....
    बहुत बहुत बधाई आपको।

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  9. रानी पद्मावती के सूक्ष्म मनोभावों को दर्शाती रचना बड़ी अनुपम है | नीतू जी क्षमा प्रार्थी हूँ -व्यक्तिगत कारणों से ब्लॉग पर कई दिन अनुपस्थित रही और बड़ी देर बाद रचना पढ़ पाई | सचमुच राजपुताना इतिहास में ही नहीं बल्कि भारत के इतिहास में रानी पद्मावती की जौहर गाथा का स्थान सर्वोपरि है जो कि नारी जाती की अस्मिता और गौरव का प्रतीक रहा है | विशेष बधाई आपको |

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