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शनिवार, 16 दिसंबर 2017

कोमल सर्दी की गुलाबी ठिठुरन................स्मृति आदित्य


कोमल सर्दी की गुलाबी ठिठुरन में
नर्म शॉल के गर्म एहसास को लपेटे 
तुम्हारी नीली छुअन 
याद आती है, 

याद 
जो बर्फीली हवा के 
तेज झोंकों के साथ 
तुम्हें मेरे पास लाती है, 
तुम नहीं हो सकते मेरे 
यह कड़वा आभास 
बार-बार भुला जाती है, 

जनवरी की शबाब पर चढ़ी ठंड 
कितना कुछ लाती है 
बस, एक तुम्हारे सिवा, 
तुम जो बस दर्द ही दर्द हो 
कभी ना बन सके दवा, 
नहीं जान सके 
तुम्हारे लिए 
मैंने कितना कुछ सहा, 
फिर भी कुछ नहीं कहा... 
-स्मृति आदित्य

8 टिप्‍पणियां:

  1. ठंडी हवाओं में प्रेम का कोमाल अहसास कराती सुंदर रचना
    बधाई

    जवाब देंहटाएं
  2. प्रेम जहाँ मिलन है वहाँ जुदाई भी है ... दोनों के एहसास को जीना होता है ... भावपूर्ण लिखा है

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर....
    तु नहीं हो सकते मेरे
    यह कड़वा एहसास....
    वाह!!!!

    जवाब देंहटाएं
  4. ठंड की गर्मीली रचना
    बेहद खूबसूरत
    बधाई
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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